लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -9
#15 पार्ट सीरीज चैलेंज
💥 शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता 🕉️
पार्ट -9
❤🔥सती और शिव 🔱
सती के हवन कुण्ड में कूदते ही चारों तरफ अफरा तफरी मच गयी !
ब्रह्मा बदहवास से चिल्लाने लगे -" दक्ष , ये तुमने क्या कर दिया, अब तुम्हें संपूर्ण ब्रह्मांड में महाकाल के क्रोध से कोई नहीं बचा सकता है। "
दक्ष पिता की बातें सुन कर अब जैसे होश में आया! अब उसे सत्य दिखने लगा , वह भय से कांपने लगा !
उधर नंदी का रो रोकर बुरा हाल था -" महादेव ने माता को मेरे साथ भेजा था, अब मैं उनको क्या मुंह दिखाऊंगा ?"
किसी गण से रहा नहीं गया वो दुख और क्षोभ से भरा हुआ दौड़ता दौड़ता कैलाश पर्वत पर पहुंचा !
महादेव ध्यान में बैठे थे!
" महादेव अनर्थ हो गया, दक्ष आपका घोर अपमान कर रहा था, माता सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने यज्ञ के हवन कुण्ड में कूदकर आत्म दाह कर लिया! "
महादेव सुनकर झटके से खड़े हो गये!
आकाश को चीर देने वाली करूण चित्कार उनके कंठ से निकली -" सती Sssss .."
महादेव की जटाएं क्रोध से खुल गईं !
उनके गुस्से से धरती आकाश हिलने लगे !
ज्वालामुखी फूटने लगे !
पहाड़ खिसकने लगे !
नदियों में उफान आने लगे!
पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति बनने लगी!
सब जीव जंतु भय से इधर उधर भागने लगे !
सारे देवी देवता त्राहि त्राहि करने लगे !
दक्ष अब स्थिति को कुछ कुछ समझ रहा था, मन भय से विचलित था पर अहंकार अब भी सिर उठा रहा था!
उधर महादेव क्रोध में तांडव कर रहे थे और उन्हें रोकने की हिम्मत किसी में नहीं थी !
क्रोध में नृत्य करते हुए वे बोले - " बस , अब दक्ष को मरना ही होगा! "
उन्होंने अपने केशों का एक गुच्छ तोड़ा और धरती पर जोर से पटका !
धरती से ज्वाला उत्पन्न हुई और उससे वीरभद्र प्रकट हुआ!
बहुत भयानक रुप, आठ भुजाएं अस्त्र शस्त्र से युक्त, विशालकाय देह , काली-नीली , लाल मुख नुकीले दांत जैसे कच्चा खा जाएंगे!
" महादेव आज्ञा दें !"
" जाओ वीरभद्र, दक्ष का खात्मा कर दो ! कोई भी रास्ते में आए उसका संहार कर दक्ष का सिर काटकर ही लौटना !"
" जो आज्ञा महादेव "
वीरभद्र तूफ़ान की गति से चिंघाड़ता हुआ दक्ष के महल की ओर बढ़ रहा था !
उधर प्रजापति दक्ष को जब इसकी सूचना मिली तो उसने अपनी पूरी सेना वीरभद्र को रोकने के लिए भेज दी !
सेना वीरभद्र तक पहुंच भी नहीं पाती थी और काट दी जाती थी ! पलक झपकते ही हजारों सैनिक धराशाही हो जाते थे !
प्रजापति दक्ष के कानों में जब खबर पड़ी कि वीरभद्र गाजर मूली की तरह सबको काटता हुआ तेजी से महल की ओर बढ़ रहा है तो वह थर-थर कांपने लगा, मौत उसकी आंखों के आगे नाचने लगी !
वो गिरता पड़ता श्री हरि नारायण विष्णु के चरणों में जा पड़ा -" हरि आप मेरे अराध्य हो , कृपया मेरी रक्षा करें! "
" प्रजापति दक्ष तुमने ऐसा कार्य किया है जिसके लिए तुम क्षमा के काबिल भी नहीं रहे ! संसार का सबसे शांत, सहनशील,दयालू,परम कल्याण कारी शिव यदि तुमसे इतना अधिक क्रोधित हैं तो तुम्हें कौन बचा सकता है ? "
"लेकिन आप मेरे अराध्य हैं आपका कर्तव्य है भक्त की रक्षा करना !"
" महादेव ने तुमको बार बार समझाया ,चेतावनी दी ,परन्तु तुम नहीं समझे !
इस कदर घृणा नफरत कि तुम उनको ईश्वर ही नहीं मानते ? लेकिन तुम्हारे न मानने से सत्य बदल नहीं जाएगा! "
" लगातार बारम्बार अपमान करने पर भी उनकी महानता देखो उन्होंने सदा तुम्हें सम्मान दिया लेकिन उनकी प्राण प्रिय सती तुम्हारे दिए अपमान के कारण प्राण त्याग दे तो क्या यह अपराध क्षमा के काबिल है ??"
" हां मुझे अब अपनी गलती का अहसास है पर मुझे अभय दान दिला दीजिये "
" मैं तुम्हारा ईष्ट होने के नाते तुम्हारी ओर से युद्ध करूंगा परन्तु तुमको बचा सकूंगा ये नहीं कह सकता! "
" ठीक है कृपा कर वीरभद्र को रोकिए !"
नारायण वहां पहुंचे जहां वीरभद्र सेना की गर्दन उड़ा रहा था!
" नारायण आप बीच में मत आइए, मैं आपका सम्मान करता हूं और आप पर वार नहीं करूंगा लेकिन महादेव की आज्ञा शिरोधार्य है , मैं प्रजापति दक्ष को जीवित नहीं छोड़ूगा !
महादेव अंतर दृष्टि से सब देख रहे थे ! वे वीरभद्र और हरि दोनों की दुविधा समझ रहे थे! उन्होंने एक और जटा से भद्रकाली को प्रकट किया!
उन्होंने आवाज़ दी - " "भद्रकाली "
भद्रकाली प्रकट हुई !
" जाओ वीरभद्र की सहायता करो !
भद्रकाली चिंघाड़ती हुई जब रणक्षेत्र में पहुंची , तो डर के मारे कई योद्धाओं के प्राण ही निकल गए!
" नारायण, आपने दक्ष की बात मान युद्ध किया, अब यहां से जाइए , हमें अपना काम करने दीजिए! "
वरना मजबूरी में मुझे आपको निगलकर तब तक बंद करना पड़ेगा जब तक कि वीरभद्र अपना कार्य नहीं कर लेता !
नारायण बोले -" तुम स्त्री हो , मैं तुम पर वार नहीं कर सकता! "
नारायण को लौटना पड़ा !
अब रास्ता साफ था !
वीरभद्र वज्र अस्त्र घुमाता हुआ जब यज्ञ स्थल पर पहुंचा तो भय से दक्ष वेदी के समीप गिर पड़ा और जोर जोर से "ऊं नम नमः शिवाय " बोलने लगा ! लेकिन वीरभद्र रूका नहीं वह तेजी से गया और दक्ष की गर्दन काट कर हवन कुण्ड में डाल दी !
*ज्ञान*:- १) कोई बहुत अधिक शांत, सहनशील, क्षमाशील और भोला है तो यह नहीं समझ लेना चाहिए कि वह कायर या कमजोर है !
मौनी की शक्ति का पता समय आने पर ही चलता है!
२) बुराई कितनी भी विशाल क्यों ना हो ईश्वर सदैव सच्चाई और अच्छाई के साथ ही रहता है, इसलिए अंतत: जीत सत्य की होती है।
*प्रामाणिकता* :- कनखल हरिद्वार में दक्षेश्वर महादेव मंदिर वो स्थान है जहां वीरभद्र ने यज्ञ स्थल पर दक्ष प्रजापति की गर्दन काटी थी!
महाकाल लोक उज्जैन में वीरभद्र की दक्ष की गर्दन काटती हुई विशाल प्रतिमा है !
अपर्णा गौरी शर्मा
मुम्बई महाराष्ट्र
वानी
17-Jun-2023 09:56 AM
Nice
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madhura
11-Jun-2023 10:24 AM
very nice
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Punam verma
11-Jun-2023 08:36 AM
Very nice
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